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Fri Aug 22, 2025
वेदांता के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से गिरावट दर्ज की गई थी हालांकि आज 21 अगस्त को कंपनी के शेयर में 0.36% की तेजी देखी गई। पिछले कुछ दिनों में गिरावट का कारण कंपनी की प्रस्तावित डिमर्जर योजना को लेकर उठे विवाद के कारण हुआ। जिसमें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने डिमर्जर योजना पर सुनवाई सरकार द्वारा दर्ज आपत्तियों के चलते टाल दी थी।
सरकार ने आरोप लगाया कि डिमर्जर के दौरान वेदांता ने कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ छिपाई और अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, जबकि कुछ देनदारियों का खुलासा नहीं किया। साथ ही यह भी कहा गया कि कंपनी ने सेबी और स्टॉक एक्सचेंज से NOC मिलने के बाद योजना में बदलाव किया, जिससे सरकारी वसूली की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
सेबी ने वेदांता लिमिटेड को प्रशासनिक कार्यवाही करने की चेतावनी दी है। सेबी ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी प्राप्त होने के बाद भी अपनी डिमर्जर योजना में कई बदलाव किए हैं। यह सेबी के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। सेबी से एनओसी प्राप्त होने के बाद यदि कोई बदलाव किए जाते हैं तो उनकी जानकारी बोर्ड को देना जरूरी है। लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया।
वेदांता ने सितंबर 2023 में अपनी डिमर्जर योजना पेश की थी, जिसके तहत कंपनी के कारोबार को चार अलग-अलग सूचीबद्ध कंपनियों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस योजना में एल्युमिनियम, ऑयल एंड गैस, पावर और बेस मेटल्स शामिल हैं। कंपनी का कहना है कि इस रिस्ट्रक्चरिंग से ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ेगी, प्रबंधन सरल होगा और शेयरधारकों के लिए मूल्य निर्माण में मदद मिलेगी।
बाद में, वेदांता ने डिमर्जर पूरा करने की समयसीमा मार्च 2025 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 कर दी। कंपनी ने यह बदलाव NCLT और अन्य नियामक संस्थाओं से मंजूरी में देरी के कारण किया। वेदांता के अनुसार, प्रस्तावित डिमर्जर से कंपनी को तेजी से निर्णय लेने, बेहतर फोकस बनाए रखने और भारत की आर्थिक वृद्धि व ऊर्जा संक्रमण में तालमेल बैठाने में मदद मिलेगी।
साथ ही, कंपनी ने यह भी घोषणा की कि उसका बोर्ड 21 अगस्त को बैठक करेगा, जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 के लिए दूसरा अंतरिम डिविडेंड मंजूर किया जाएगा। इसके लिए रिकॉर्ड डेट 27 अगस्त तय की गई है।
एक अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने वेदांता समूह की तलवंडी साबो विद्युत परियोजना के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। वेदांता की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (TSPPL) ने मेगा पावर दर्जे के तहत विदेश व्यापार नीति लाभ के अधिकार को चुनौती दी थी और 'मान्य निर्यात' लाभ वापस लिए जाने को चुनौती देते हुए अधिक मुआवजे की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त को विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) के आदेश को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि तलवंडी साबो कभी भी वैध रूप से इन लाभों का हकदार नहीं था। इससे परियोजना से किसी भी अतिरिक्त वित्तीय राहत का रास्ता बंद हो गया।
वेदांता ने 20 अगस्त को नियामकीय फाइलिंग में कहा कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन किया है और उपलब्ध कानूनी विकल्पों सहित अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहे हैं। इससे पहले, एनसीएलटी ने भी तलवंडी साबो पावर के प्रस्तावित विभाजन को खारिज कर दिया था, जिससे कंपनी के कानूनी और वित्तीय विकल्प और भी सीमित हो गए हैं।
वेदांता ने गुरुवार, 21 अगस्त 2025 को अपने FY26 के लिए दूसरे अंतरिम डिविडेंड की घोषणा की है। कंपनी के बोर्ड ने 16 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड को मंजूरी दी है। यह डिविडेंड 1 रुपये प्रति शेयर के फेस वैल्यू पर जारी किया जाएगा और कुल भुगतान लगभग 6,256 करोड़ रुपये होगा। इसके लिए रिकॉर्ड डेट 27 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है।
कंपनी ने जून 2025 में भी पहला अंतरिम डिविडेंड 7 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से घोषित किया था। वेदांता ने पिछले साल भी 4 बार डिविडेंड का एलान किया था। 2024 में डिविडेंड दरें क्रमशः 11 रुपये, 4 रुपये, 20 रुपये और 8.50 रुपये प्रति शेयर रही थीं। वहीं 2023 में कंपनी ने दो बार डिविडेंड दिया। वर्तमान में इस स्टॉक का डिविडेंड यील्ड लगभग 9% है।
मार्केट अपडेट के अनुसार, 21 अगस्त 2025 को वेदांता का शेयर 0.36% बढ़कर ₹447.10 पर बंद हुआ। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 1.66 लाख करोड़ रुपये है, जबकि 52 सप्ताह का ऊपरी स्तर ₹526.95 और निचला स्तर ₹363 प्रति शेयर रहा है।
वेदांता लिमिटेड भारत की प्रमुख प्राकृतिक संसाधन और प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक है, जो धातु, ऊर्जा, तेल और गैस, खनिज, और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में कार्यरत है। कंपनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है और इसके संचालन भारत, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, लाइबेरिया और जाम्बिया जैसे देशों में फैले हुए हैं।
वेदांता के लिए चालू वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत मिश्रित परिणामों के साथ हुई है। अप्रैल-जून 2025 की पहली तिमाही में कंपनी का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 11.67% गिरकर ₹3,185 करोड़ पर रह गया, जबकि ऑपरेशंस से राजस्व लगभग 6% बढ़कर ₹37,824 करोड़ तक पहुंच गया। इस दौरान कंपनी का खर्च भी ₹30,772 करोड़ से बढ़कर ₹32,756 करोड़ हो गया।
पिछले एक साल के दौरान कंपनी के शेयरों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला; 16 दिसंबर 2024 को शेयर ₹527.00 पर रिकॉर्ड हाई तक पहुंचे, लेकिन चार महीने में 31.27% की गिरावट के साथ 7 अप्रैल 2025 को ₹362.20 पर आ गए, जो एक साल का रिकॉर्ड लो है।
वर्तमान में शेयर ग्रीन जोन में हैं, लेकिन हाल ही में सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों के कारण बिकवाली का दबाव देखा गया, जिसके चलते कंपनी के डिमर्जर प्रोजेक्ट पर एनसीएलटी में सुनवाई टल गई। सरकार का कहना है कि डिमर्जर के बाद उसके बकाए वसूलने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, साथ ही कंपनी पर आय बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और कुछ देनदारियों को छिपाने के आरोप भी लगाए गए हैं। इस तरह, कानूनी और वित्तीय चुनौतियों के बीच कंपनी का कारोबारी प्रदर्शन और शेयर मार्केट पर असर मिश्रित रूप में दिखाई दे रहा है।
Ankit Kumar Avasthi