जीएसटी 2.0: दो-स्लैब संरचना को मंज़ूरी, 22 सितंबर से लागू होगा ऐतिहासिक बदलाव

Thu Sep 4, 2025

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में लम्बी चर्चा के बाद टैक्स संरचना को सरल करने का निर्णय लिया गया। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि अब पहले की तरह चार नहीं, बल्कि केवल दो जीएसटी दरें होंगी 5% और 18%। इस संशोधन से रोज़मर्रा की चीज़ें जैसे साबुन और शैम्पू के साथ-साथ एसी और कार जैसी वस्तुएँ भी सस्ती हो जाएँगी। इस फैसले की जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 सितंबर को साझा की।

पीएम मोदी बोले: जीएसटी सुधार नई दिशा में बड़ा कदम

जीएसटी काउंसिल के हालिया फैसलों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी सुधार न सिर्फ आम नागरिक की जिंदगी को आसान बनाएंगे, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती देंगे। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पीएम मोदी ने लिखा कि स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान उन्होंने जीएसटी में अगली पीढ़ी के बदलावों की रूपरेखा रखी थी। केंद्र सरकार ने टैक्स ढांचे को सरल करने और प्रक्रियाओं को और सहज बनाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की थी, जिसका मकसद आम लोगों को राहत देना और अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है।

सभी वर्गों को मिलेगा लाभ

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह गर्व की बात है कि केंद्र और राज्य मिलकर बनी जीएसटी काउंसिल ने दरों में कटौती और सुधारों पर सहमति जताई है। इससे किसानों, एमएसएमई, मध्यम वर्ग, महिलाओं, युवाओं और छोटे कारोबारियों को सीधा फायदा होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि ये व्यापक सुधार नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर करेंगे और व्यापार जगत, खासकर छोटे उद्योगों के लिए "ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस" को और सरल बनाएंगे।

आइए जानते हैं, घटाए गए जीएसटी दरों के बारे में

  • रोजमर्रा के सामान: साबुन, शैम्पू और टूथपेस्ट पर जीएसटी 18% से घटकर 5%। घी, मक्खन, नूडल्स, नमकीन, बर्तन, बच्चों की बोतलें, नैपकिन, डायपर, सिलाई मशीन 12% से घटकर 5%।
  • कृषि उपकरण: ट्रैक्टर टायर 18% से घटकर 5%। ट्रैक्टर और सिंचाई मशीनरी 12% से घटकर 5%।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र: हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी हटा दिया गया। थर्मामीटर 18% से घटकर 5%, ऑक्सीजन और डायग्नॉस्टिक किट 12% से घटकर 5%।
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर: छोटी कारें और मोटरसाइकिलें 28% से घटकर 18%।
  • शिक्षा क्षेत्र: मैप, चार्ट और ग्लोब पर जीएसटी हटा। पेंसिल और क्रेयॉन पर जीएसटी शून्य। एक्सरसाइज बुक्स पर 5% से जीएसटी हटा।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स: एसी, 32 इंच से बड़े टीवी और वॉशिंग मशीन पर 28% से घटकर 18%।
  • 40% जीएसटी: 350 सीसी से ऊपर मोटरसाइकिल, पान मसाला, तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, शर्करा युक्त पेय, बड़ी गाड़ियां, निजी विमान व नौकाएं।


जीएसटी दरों में बदलाव का उद्देश्य

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि जीएसटी 2.0 का मुख्य लक्ष्य टैक्स प्रणाली को आसान बनाना, आम उपभोक्ताओं पर कर का दबाव घटाना और छोटे कारोबारों को प्रोत्साहित करना है।

22 सितंबर से लागू होंगे नए टैक्स स्लैब

निर्मला सीतारमण ने बताया कि नई दरें 22 सितंबर से लागू की जाएँगी। हालांकि तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर प्रस्तावित 40% जीएसटी फिलहाल लागू नहीं होगा।

नए जीएसटी स्लैब से आम आदमी को फायदे

  • जीवन-यापन की लागत कम होगी
  • स्वास्थ्य और इलाज पर बचत होगी
  • आवास का खर्च घटेगा
  • वाहन खरीदना आसान होगा
  • घरेलू उपकरण सस्ते होंगे
  • शिक्षा की लागत घटेगी
  • किसानों को फायदा होगा

Goods and Services Tax (GST) के बारे में

GST एक अप्रत्यक्ष कर है जो 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ। इसने एक्साइज ड्यूटी, वैट और सर्विस टैक्स जैसे पुराने अप्रत्यक्ष करों को खत्म कर दिया। यह एक डेस्टिनेशन-बेस्ड, मल्टी-स्टेज टैक्स है।

GST की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • एकीकृत कर प्रणाली: 17 करों और 23 उपकरों का एकीकरण।
  • राजस्व वृद्धि: FY 2024–25 में ₹22.08 लाख करोड़ का संग्रह।
  • मासिक औसत संग्रह ₹1.84 लाख करोड़।
  • 1.51 करोड़ से अधिक सक्रिय पंजीकरण।

जीएसटी से सरकार की बढ़ती कमाई

2017–18 में ₹7.41 लाख करोड़ से 2024–25 में ₹22.08 लाख करोड़ तक, जीएसटी संग्रह तीन गुना बढ़ा। केवल पांच वर्षों में राजस्व दोगुना हुआ।

टैक्स छूट से संभावित नुकसान

राजस्व सचिव के अनुसार टैक्स कटौतियों से ₹48,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है, जबकि SBI रिसर्च का अनुमान ₹85,000 करोड़ है। वित्त मंत्री के अनुसार, खपत बढ़ने से लंबी अवधि में इसकी भरपाई होगी।

निष्कर्ष

जीएसटी को सरल बनाने के लिए 2 स्लैब व्यवस्था एक महत्वपूर्ण सुधार साबित हो सकता है। मौजूदा जटिल टैक्स ढाँचे में कई दरों के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को दिक्कत होती है। दो स्लैब प्रणाली से न केवल अनुपालन आसान होगा, बल्कि टैक्स चोरी की संभावनाएँ भी कम होंगी। इससे आम आदमी को रोज़मर्रा की वस्तुओं पर राहत मिलेगी और उद्योग जगत को भी स्थिर एवं पूर्वानुमेय टैक्स वातावरण मिलेगा।